Description
फूमासूल न0 1
पशुओं में मुँह पका खुर पका रोग की रोकथाम हेतु होम्योपैथिक पशु औषधि
फूमासूल न0 1 पशुओं में मुँह पका खुर पका रोग की रोकथाम हेतु बेहतरीन व कारगर होम्योपैथिक पशु औषधि है, जोकि पशुओं में पशुओं में मुँह पका खुर पका रोग की रोकथाम करता है तथा एफ एम् डी के सभी स्ट्रेंस की रोकथाम के लिए अतिउपयुक्त होम्योपैथिक दवाई है | फूमासूल पशुओं की इम्युनिटी 48 से 72 घंटे में बढ़ता है |
फूमासूल न0 1 के एक पैकेट में 4 बोलस होते हैं | यह सुबह और शाम के वक़्त पैकेट पर दिए गए निर्देशों के अनुसार दिए जाते हैं या फिर पशु चिकित्सक जैसा निर्देशित करते हैं |
ये विशेष होम्योपैथीक पशु औषधि उत्पाद जानी मानी होम्योपैथिक वेटरनरी कंपनी गोयल वैट फार्मा प्रा० लि० द्वारा पशु पलकों के लिए बनाये गए है | यह कंपनी आई० एस० ओ० सर्टिफाइड हैं, तथा इसके उत्पाद डब्लु० एच० ओ० -जि० ऍम० पी० सर्टिफाइड फैक्ट्री मैं बनाये जाते हैं | सभी फॉर्मूले पशु चिकित्सकों द्वारा जांचे व परखे गए हैं तथा पिछले 40 वर्ष से अधिक समय से पशु पालकों द्वारा उपयोग किये जा रहे है |
Trusted by the Nation's top Vetenarians
“K9 Vitality’s Pre+Probiotic & Gut Health for dogs are an excellent tool to help balance your dog’s gut for both healthy digestion and skin.”
– Dr. Sanghvi (MVSC, Pet Consultant To K9 Vitality)
जल्दी व प्रभावी नतीजों के लिए कोशिश करने की होम्योपैथिक दवा पशु की जीभ से लग के ही जाये | होम्योपैथिक पशु औषधियों को अधिक मात्रा में न देवें, बार बार व कम समयांतराल पर दवा देने से अधिक प्रभावी नतीजें प्राप्त होते हैं | पिने के पानी में अथवा दवा के चूरे को साफ हाथों से पशु की जीभ पर भी रगड़ा जा सकता है |
तरीका 1 : गुड़ अथवा तसले में पीने के पानी में दवा या टेबलेट या बोलस को मिला कर पशु को स्वयं पीने दें |
तरीका 2 : रोटी या ब्रेड पर दवा या टेबलेट या बोलस को पीस कर डाल दें तथा पशु को हाथ से खिला दें |
तरीका 3 : थोड़े से पीने के पानी में दवा को घोल लें तथा एक ५ मिली की सीरिंज (बिना सुईं की ) से दवा को भर कर पशु के मुँह में अथवा नथुनों पर स्प्रै कर दें | ध्यान दें की पशु दवा को जीभ से चाट ले |
नोट : कृपया दवा को बोतल अथवा नाल से न दें|
उपयोगिता :
- फूमासूल न0 1 पशु की मुँह पका खुर पका रोग से वैक्सीन की तरह से रोकथाम करता है |
- फूमासूल न0 1 एफ एम् डी के सभी स्ट्रेंस की रोकथाम के लिए अतिउपयुक्त होम्योपैथिक दवाई है |
- फूमासूल न0 1 पशुओं की इम्युनिटी 48 से 72 घंटे में बढ़ता है |
- फूमासूल न0 1 ऐसी स्तिथि में भी कारगर है जब रोगी पशु को बाड़े में ही रखना मजबूरी हो |
- फूमासूल न0 1 ग्याभिन पशु या कमजोर पशु की भी इम्युनिटी को बढ़ाता है वह भी बिना पशु को नुक्सान पहुंचाए |
- फूमासूल न0 1 वायरस के म्युटेशन की स्तिथि में भी कारगर रूप से कार्य करता है |
फूमासूल न0 1 का 1 बोलस सुबह तथा 1 बोलस शाम को दिया जाना है, बेहतर इम्युनिटी के लिए यह कोर्स 4 दिन तक दिया जाना होता है |
2 गुणा 2 बोलस ब्लिस्टर पैकिंग में उपलब्ध |
HOMEOPATHIC DRUG PICTURE OF THE MEDICINAL FORMULATION
Quality, efficacy, and safety are the utmost priorities of FOOMASULE NO.1 formulation. Cost-effective health care with no contraindications or side effects are the added benefits of using a homeopathic remedy. Facts about the homeopathic medicines used in this formulation:
Justicia Adhatoda: (Homeopathic Medicine)
It is a highly efficacious medicine in treating acute catarrhal conditions in the respiratory tract, dryness of mouth, fluent profuse coryza from the nose with constant sneezing, swollen nose with a sense of obstruction,white-coated tongue, and can be used as a preventive medicine if there is an infected animal in the herd.
Kali Iodatum: (Homeopathic Medicine)
This remedy is used to treat glandular complaints, such as swollen glands associated with flu, sore throats, prostate problems, green mucus, or acrid watery discharges from the nose.
Mercurius Solubilis: (Homeopathic Medicine)
The remedy is used for ulcers, particularly if they affect the gut, as in ulcerative colitis; where there is diarrhea with bleeding and straining to defecate feces which is mucoid or bloody.
NatrumPhosphoricum: (Homeopathic Medicine)
It is a chief remedy for hyperacidity and ulcers in the mouth.
Nitric Acid: (Homeopathic Medicine)
This remedy is used to treat splinter-like pain that may appear and disappear suddenly, for example, in sore throats, mouth ulcers, and thrush.
Rush Tox: (Homeopathic Medicine)
It is used to treat eczema, chilblains, cold sores, shingles, rashes, and other conditions in which there is dry, scaling, or blistered skin. Some estrus problems, including intense bleeding and abdominal pains, benefit from this remedy.
Variolinium: (Homeopathic Medicine)
Prophylaxis, or pro-active measures to prevent a disease from occurring, according to a concept in homeopathy, when there is a case of an epidemic outbreak and the general symptom pattern shows a homogeneity leads us to this remedy which helps out as curatively as well as preventively.
Note: All the above mentioned symptomatic description of the homeopathic drugs is taken from approved literature of homeopathy with an underlying base from Homeopathic Pharmacopeia of India.
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