Description
यूटेरोज़न 105 मिली0
मादा पशुओं के लिए एक बहुउद्देशीय व्याधि निवारक, होम्योपैथिक पशु औषधि
यूटेरोज़न गाय – भैंस व् मादा पशुओं के लिए एक बेहतरीन होम्योपैथिक पशु औषधि तथा नॉन हार्मोनल फार्मूलेशन है, जो सभी प्रकार की गर्भाशय सम्बन्धी समस्याओं का निवारण करती है | यूट्रोजन गर्भकाल से प्रसवकाल की प्रक्रिया को सामान्य रुप से नियमित करता है। जिससे पशु के गर्भपात की संभावना नही रहती। यूट्रोजन प्रसव समय पर व आरामदेय बनाने में सहायक है। यूट्रोजन पशु की हार्मोनल टोनिसिटि बनाये रखता है। जिससे एक के बाद दूसरा हार्मोन स्वतः ही स्त्रावित होते रहते है। यूट्रोजन जैर स्वतः गिरने मैटराइटिस व पायोमेटरा रोग की सम्भावना कम करने व निदान करने में बहुत सहायक है।
हम सभी जानते है मादा पशु के प्रसवकाल के कुछ समय पूर्व तथा बाद का समय पशु एंव पशुपालक दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है , क्योंकि पशु के जीवन एव पशुपालक की आय दोनों का निर्णायक समय भी होता है। इस नाजुक समय मे सभी प्रकार से पशु की गर्भकाल की प्रथम अवस्था से प्रसवकाल तक पूर्ण सुरक्षा रखें, तथा कुछ पुशओ में गर्भपात (एबोर्शन) की जो भी संभावित स्थिति बन जाती है व समाप्त हो जाये तथा प्रसव पश्चात समय पर (Placenta) गिर जाये तथा मैटराइटिस (Metritis ) व पायोमेटरा ( Pyomatra ) रोग न हो और यदि किसी कारणवश हो जाये तो उसका शीघ्र निदान हो सके, यह हर पशुपालक एंव पशु चिकित्सक की आवश्यकता है। कि केवल यूट्रोजन ही पूर्ति करता है।
Trusted by the Nation's top Vetenarians
“K9 Vitality’s Pre+Probiotic & Gut Health for dogs are an excellent tool to help balance your dog’s gut for both healthy digestion and skin.”
– Dr. Sanghvi (MVSC, Pet Consultant To K9 Vitality)
जल्दी व प्रभावी नतीजों के लिए कोशिश करने की होम्योपैथिक दवा पशु की जीभ से लग के ही जाये | होम्योपैथिक पशु औषधियों को अधिक मात्रा में न देवें, बार बार व कम समयांतराल पर दवा देने से अधिक प्रभावी नतीजें प्राप्त होते हैं | पिने के पानी में अथवा दवा के चूरे को साफ हाथों से पशु की जीभ पर भी रगड़ा जा सकता है |
तरीका 1 : गुड़ अथवा तसले में पीने के पानी में दवा या टेबलेट या बोलस को मिला कर पशु को स्वयं पिने दें |
तरीका 2 : रोटी या ब्रेड पर दवा या टेबलेट या बोलस को पीस कर डाल दें तथा पशु को हाथ से खिला दें |
तरीका 3 : थोड़े से पीने के पानी में दवा को घोल लें तथे एक 5 मि0ली0 की सीरिंज (बिना सुईं की ) से दवा को भर कर पशु के मुँह में अथवा नथुनों पर स्प्रै कर दें | ध्यान दें की पशु दवा को जीभ से चाट ले |
नोट : कृपया दवा को बोतल अथवा नाल से न दें
यूटेरोज़न 105 मिली0
मादा पशुओं के लिए एक बहुउद्देशीय व्याधि निवारक, होम्योपैथिक पशु औषधि
यूट्रोजन ही क्यों ?…. क्योकि यह बहुउदेश्यीय है
यूट्रोजन गर्भकाल से प्रसवकाल की प्रक्रिया को सामान्य रुप से नियमित करता है। जिससे पशु के गर्भपात की संभावना नही रहती। यूट्रोजन प्रसव समय पर व आरामदेय बनाने में सहायक है। यूट्रोजन पशु की हार्मोनल टोनिसिटि बनाये रखता है। जिससे एक के बाद दूसरा हार्मोन स्वतः ही स्त्रावित होते रहते है। यूट्रोजन जैर स्वतः गिरने मैटराइटिस व पायोमेटरा रोग की सम्भावना कम करने व निदान करने में बहुत सहायक है।
अतिरिक्त लाभ
- दवा की मात्रा न्यूनतम किन्तु प्रभाव अधिकतम।
- पशुपालक को देने में कोई झंझट नही ।
- पशु को गलत तरीके से दवा पिलाने जाने की न कोई संभावना होगी न ही कोई रोग होगा ।
- शीघ्र प्रभाव क्षमता।
- कोई दुष्प्रभाव नही
- यूट्रोजन पर खर्च कम और लाभ ज्यादा
यूट्रोजन की कार्य-विधि
गर्भावस्था मे गर्भकाल का पूर्ण रुप से सूरक्षित रहना हार्मोन्स के नियमन तथा नियमति स्त्राव पर निर्भर करता है। प्रसव काल में एक हार्मोन दूसरे हार्मोन पर चैक व रिलीज फिनोमिना के सिद्धान्त पर कार्य करते है। अतः यह आवश्यक है कि यह फिनोमिना या क्रिया नियमित बनी रहे ताकि सभी आवश्यक हार्मोन उचित समय पर उत्प्रेरित हो सके और गर्भकाल से प्रसव काल तक की प्रक्रिया सामान्य रुप से नियमित (Physiologically Balanced) हो सके और पशु को किसी भी प्रकार की कोम्पलीकेशन या प्रसवकाल में असुविधा की संभावना न्यूनतम रहे एवं गर्भाशय की टोनिसिटी बनी रहे।
यूट्रोजन एक नाँन होर्मोनल फार्मूलेशन है जो गर्भावस्था के हार्मोन्स को नियमित करता है।
यूट्रोजन प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को नियमित करता है जिससे गर्भकाल सुरक्षित रहता है, तथा प्रसवकाल आने पर पिट्यूट्री को उत्प्रेरित कर आँक्सीटोसिन को समय पर रिलीज करता है। यह आँक्सिटोसिन, गोनेडोट्रापिक हारमोन्स की सहायता से प्रसवकाल की प्रक्रिया को पूरा करता है तथा बाद में प्रोलेक्टिन हार्मोन्स को जन्म देता है जिससे दूध का सही नियमन हो।
यूट्रोजन हार्मोन्स की जटिल प्रक्रिया को नान हार्मोनल उत्प्रेरक की तरह संचालित करता है जिससे कि एक के बाद दूसरा हार्मोन चक्रानुसार स्वतः ही रिलीज होता रहै।
उपयोग की विधि
कृपया पशु को दवा बोतल अथवा नाल से दे। पशु को दवा स्वयं ही दवा पीने के लिये गुड़ के पानी में मिला कर दे अन्य किसी भी सुविधाजनक तरीके से जैसे थोड़े से पशु आहार को गुड़ में मिलाकर या रोटी को दवा में भिगोकर दिया जा सकता हैं।
डोज
मिली यूट्रोजन दवा की कुल मात्रा 150 ml है। तथा शीशी का ढक्कन 5 ml का है। इस प्रकार से कुल 21 खुराक है। यह लगभग सम्पूर्ण कोर्स है। किन्तु किसी कारण वश स्वास्थ्य
लाभ पूरा न होने पर यूट्रोजन का दूसरा कोर्स दिया जाता है जिससे भी प्रकार की दूष्परिणाम की कोई संभावना नही रहती ।
चिकित्सीय निर्देश
गर्भपात निरोध हेतु
गाभिन पशु को गर्भपात होने की शंका होने पर प्रति 5 बार इस दवा को पानी में डालकर अथवा पशु के आहार में मिलाकर दिन में 4-5 बार तक नियमित रूप से दिया जाना है। इससे पशु में गर्भपात की शंका जाती रहेगी। यदि गर्भपात शंका बहुत अधिक बढ़ चुकी है, तब भी यूट्रोजन देने से यह शंका काफी कम हो जायेगी। गम्भीर परिस्थितियों में यूट्रोजन 1/2 घण्टे के अन्तराल पर भी 4-5 खुराक दी जा सकती है। यदि पूर्व में किसी गाभिन पशु के साथ गर्भपात की घटना हो चुकी हो तो यूट्रोजन को गर्भपात के एक माह पूर्व 5 ml. इस दवा को सुबह व शाम 10 दिन तक देने से अगले माह में होने वाले सम्भावित गर्भपात की शंका न्यूनतम हो जायेगी।
सुविधाजनक प्रसव हेतु
पशु के ब्याहने की सम्भावित तिथि से 10-15 दिन पूर्व से यूट्रोजन की सुबह-शाम 5 ml दवा दी जानी है। ऐसा करने से प्रसव कम कष्ट के साथ व सुरक्षित होता है। इससे पशु पालक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि रात्रि काल में अथवा असमय प्रसव होने के कारण प्रसव काल में पशु की अकाल मृत्यु होने की सम्भावना न्यूनतम रह जाती है। यदि पशु को पूर्व के प्रसव में डिस्टोकिया हुआ हो तब भी यूट्रोजन देने से प्रसव सुरक्षा पूर्वक होने की पूरी-पूरी सम्भावना बनी रहती है।
व्याहने के बाद जेर गिराने हेतु
पशु के प्रसव पश्चात से यूट्रोजन को एक-एक घण्टे के अन्तर से 4-5 खुराक देने पर ही पशु की जेर (प्लेसेन्टा) स्वत: ही पूर्ण रूप से गिर जाता है तथा पशु का मैला भी गिरना प्रारम्भ हो जाता है। जेर गिरने के बाद यूट्रोजन को दिन में तीन या चार बार देने से पूरा मैला छट जाता है तथा कोई भी गर्भाशय शेष नहीं रहता है। पशु में से यह सब क्रिया सामान्य होने से पशु पूर्ण स्वस्थ रहता है उसकी हार्मोनल टोनोसिटी बनी रहने के कारण वह अधिकतम दूध देने की क्षमता रखता है।
गर्भाशय शोथ हेतु
गर्भाशय शोथ उपचार में यूट्रोजन के कोर्स को प्रथम 2 दिन चार बार, शोथ दिनों में दिन में दो या तीन बार देने से गर्भाशय शोध का पूर्ण निदान हो जाता है। गर्भाशय शोथ के न होने से उनमें थनेंला रोग की सम्भावना भी 50% तक कम हो जाती है ।
The phenomenon behind the working of Uterogen :
Success of pregnancy facilitated by easy parturition depends on the hormonal balance and their regular release. During pregnancy, hormones work on the principle of check and release phenomenon. It is important that this phenomenon or process is maintained so that all the necessary hormones are activated at the right time. So the entire period between conception and delivery is physiologically balanced by the hormones. The possibility of any type of complication or inconvenience during parturition (delivery) should be minimum and the tonicity of the uterus should be maintained. Uterogen is a non-hormonal formulation which regulates the hormones concerned with pregnancy. Uterogen regulates and balances the Progesterone levels to make the pregnancy safe. Nearing the delivery, it excites the complete process of parturition by reducing the Progesterone levels and increasing the Oxytocin levels with help of Pituitary gland which stimulates and produces Oxytocin hormone. Oxytocin with the help of Gonadotropic hormone completes the process of parturition and later stimulates the prolactin hormone so that there is normal milk yield. Uterogen mediates this complicated process as a non-hormonal indicator and catalyst. In this way all the hormones are released one after another as per the cycle automatically.
UTEROGEN – 105 ml
HOMEOPATHIC VETERINARY MEDICINE
HOMEOPATHIC DRUG PICTURE OF THE MEDICINAL FORMULATION
This Homeopathic Veterinary Medicine is specially formulated for cattle to give safest and side-effect-free medication, keeping in mind that Efficacy and Quality of the product are most important. Some of the facts about the homeopathic drugs used.
Caulophyllum: (Homeopathic Medicine)
It is used primarily for treating the problems of uterus such as excessive bleeding and lack of tonicity in the muscles. This remedy is also used for rheumatic joint pains affecting the small joints, particularly if they occur in conjunction with oestrous or uterine infections.
Cimicifuga: (Homeopathic Medicine)
Acts upon the nerves and uterine muscles. Cimicifuga is prescribed mostly for gynecological problems.
Cantharis: (Homeopathic Medicine)
Has had a long history in homeopathic medicine and has been used for all types of disorders. In high concentrations the irritant can be toxic, prompting abdominal cramps and burning pain in the throat and stomach, vomiting of blood, diarrhea, kidney damage, convulsions, coma, and death. Signs of swelling of the neck of the uterus, miscarriage, irritation in bowels and urinary organs, retained placenta with painful urination can be treated with this.
China: (Homeopathic Medicine)
This remedy is used for exhaustion followed by illness or extreme fluid loss. China is also given for fever, insomnia, gastric disturbances, and headaches. Painless diarrhea (yellow, watery, brownish, undigested), metritis after huge loss of blood, threatened miscarriage, abortion, etc., are addressed with this drug.
Pulsatilla: (Homeopathic Medicine)
It is pre-eminently a female remedy. Symptoms of oestrous disorders, cystitis, depression, and tearfulness, headache and migraine, swollen glands, inflammation, and pain in the bones and joints as in rheumatic arthritis disorder, epistaxis, varicose veins, mumps, measles, toothache, acne, frequent urination, and incontinence can be treated with this remedy.
Rush Tox: (Homeopathic Medicine)
It is used to treat eczema, chills, cold sores, shingles, nappy rash, and other conditions in which there is a dry, scaly, blistered skin. Some oestrous problems, including heavy bleeding and abdominal pains that are relieved by lying down, are improved with this remedy.
Sepia: (Homeopathic Medicine)
It is used to treat pro-estrous anxiety, oestrous disorders, and heavy bleeding, and other related symptoms.
Sabina: (Homeopathic Medicine)
Chronic ailments related to female animals, arthritic pains, miscarriages, especially in the third month, abortion or premature labor, hemorrhages in the uterus, retained placenta from atony of uterus, etc., can be treated with this.
Secale Cor: (Homeopathic Medicine)
Threatened abortion especially in the third month, difficulty in parturition, etc., can be treated with this.
Ustilago Maydis: (Homeopathic Medicine)
It is often used for its improvement in conditions related to female genitalia. Common uses are for irritation of the ovaries, discharges dark in colour, bleeding (passive, non-passive, string bleeding), and pain in the ovaries or the womb, cramps in the uterine muscles, are addressed.
Note: All the above mentioned symptomatic description of the homeopathic drugs is taken from approved literature of homeopathy with an underlying base from Homeopathic Pharmacopeia of India.
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